इंसान जब श्मशान से किसी अपने को
अग्नि में अर्पण करके आता हैं,
तो रास्ते भर वह सब बुराईयाँ छोड़ कर
जीवन सार्थक बनाने का प्रण
मन ही मन में करता हैं।
परन्तु घर आके वो जैसे ही नहाता हैं
उसके समस्त सुविचार धुल जाते हैं
और वो उसी दुनिया में वापस रंग जाता हैं,
यही जीवन हैं।