एक बार एक जनरल स्टोर में एक ग्राहक आया और दुकानदार से बोला: "मुझे 10 किलो काजू दे दीजिए।"
दुकानदार उसके लिए 10 किलो काजू तौलने लगा। तभी एक कीमती कार दुकान के सामने आकर रुकी और उससे उतरकर एक वीआईपी टाइप आदमी दुकान के अंदर आया, और बोला: "भाई, जरा मुझे भी 1 किलो काजू तौल दीजिए।"
दुकानदार ने पहले वाले ग्राहक को तौलकर 10 किलो काजू दिए, फिर दूसरे ग्राहक के लिए 1 किलो काजू तौलने लगा। जब 10 किलो काजू वाला ग्राहक चला गया, तब कार सवार ग्राहक ने कौतूहलवश दुकानदार से पूछा: "ये जो ग्राहक अभी गए हैं, यह कोई बड़े आदमी हैं या इनके घर में कोई काम है जिसके कारण ये 10 किलो काजू ले गए हैं?"
दुकानदार ने मुस्कुराते हुए कहा: "अरे नहीं सर, ये तो एक सरकारी विभाग में चपरासी हैं लेकिन पिछले साल जब से इसने एक विधवा से शादी की है, जिसका पति करोड़ों रुपये उसके लिए छोड़ गया था! तब से उसी के पैसे को खर्च कर रहे हैं। ये महाशय तो 10 किलो काजू हर महीने लेते हैं!"
इतना सुनकर दूसरे ग्राहक ने भी दुकानवाले को 1 की बजाय 10 किलो काजू तौलने को कहा, और घर के लिए निकल गया।
अब 1 की जगह 10 किलो काजू लेकर जब वो अपने घर पहुँचा, तो उसकी पत्नी बेहद आश्चर्य से बोली: "आप ये किसी और का सामान उठा लाए क्या? आपको 1 किलो काजू लाने को कहा था, 10 किलो की क्या जरूरत है?"
आदमी ने उत्तर दिया: "पगली, मेरे मरने के बाद कोई दूसरा आदमी मेरे ही पैसे से 10 किलो काजू खाए, तो जीते जी फिर मैं क्यों 1 किलो खाऊं?"
सीख:
"अपनी कमाई को बैंक में जमा करते रहने के साथ जरूरत के मुताबिक अपने ऊपर भी खर्च करते रहना चाहिए।"
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धन्यवाद
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